तू भी हीरे से बन गया पत्थर
हम भी कल जाने क्या से क्या हो जाएँ
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शायराना सी हैं जिंदगी की फ़िज़ा
तू भी हीरे से बन गया पत्थर
हम भी कल जाने क्या से क्या हो जाएँ
ये दिल लेते ही शीशे की तरह पत्थर पे दे मारा,
मैं कहता रह गया ज़ालिम मेरा दिल है, मेरा दिल है ।
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला
मैं मोम हूँ उसने मुझे छूकर नहीं देखा
सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा
इतना मत चाहो उसे, वो बेवफ़ा हो जाएगा
लोग मुन्तज़िर ही रहे कि हमें टूटा हुआ देखें..
और हम थे कि सहते-सहते पत्थर के हो गए….