किस किस तरह से छुपाऊँ तुम्हें मैं..
मेरी मुस्कान में भी नज़र आने लगी हो तुम..
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शायराना सी हैं जिंदगी की फ़िज़ा
किस किस तरह से छुपाऊँ तुम्हें मैं..
मेरी मुस्कान में भी नज़र आने लगी हो तुम..